RAKHI Saroj

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लेखनी प्रतियोगिता -04-Mar-2023

एक एहसास 


एक एहसास मेरे ज़हन में 
अब भी एक सवाल बन‌ बैठा है
हर दर्द के हिसाब के बाद भी
एक एहसास मेरे ज़हन में
अब भी एक सवाल बन कर बैठा है
कैसे कहूं किसका वह मुखौटा था 
जिसके गिर जाने का जख्म अब भी
मेरे ज़हन को डराएं बैठा है
एक एहसास मेरे ज़हन में
अब भी एक सवाल बनकर बैठा है
किससे पूछूं जब अपना दर्द 
आंखों को ढकर बैठा है
एक एहसास मेरे ज़हन में
अब भी एक सवाल बनकर बैठा है
जिसका हिसाब अब भी मेरे  रंगों को
अंधेरों में गहरे बैठा है। 
एक एहसास जिसका सवाल अब भी
मैं कर लेना चाहती हूं उसका अब
मुझे एहसास नहीं रहता है। 
        राखी सरोज 

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10 Comments

Renu

05-Mar-2023 10:27 PM

👍👍🌺

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RAKHI Saroj

07-Mar-2023 08:00 AM

Thank you

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बेहतरीन

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RAKHI Saroj

07-Mar-2023 08:00 AM

धन्यवाद सर

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kashish

05-Mar-2023 02:11 PM

nice

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RAKHI Saroj

07-Mar-2023 08:00 AM

Thank you

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